महामाष तेल (निरामिषद्ध)
घटकद्रव्यः मंजिष्ठा, हिरडा, अश्वगंधा, कचुर, देवदार, खरेटी, रास्ना, प्रसारणी, कुठ, पालसा, भारंगी, विदारीकन्द, क्षिरविदारीकन्द, पुनर्नवा, शतावरी, विजारा, नींबु, सफेद जीरा, साहजीरा, हींग, सौंप, गोखर, पीपरामुल, सेंधा नमक, गुलेठी, जिवंती, दसमुल, मास्कक्वाथ, दुध, तिल तेल फण्ण।
उपयोगः पक्षाघात, पंगुता, सिर का जकडना, गदैन का जकडना, शुक्रतन्य, कर्णनाद, पुराने वात रोगो मे और वात प्रकृतिवाले वातरोगो मे यह बहुत गुणकारी है। इस तेल की मालीश के साथ महारास्नादी क्वाथ के साथ बृहत योगराज गुगुल सुबह-शाम सेवन करते रहे और बादी या कफवर्धक अथवा दस्तकब्ज करने वाले पदार्थ का परहेज रखे तो पुराने वातरोग मे आराम दिलाने मे मदत करता है।
उपयोग की विधीः नारामहामाष तेल से दर्द वाले हिससेपर लगाकर हलके हाथो से मालीश करें।